सूर्य देवता का उत्तरायण यात्रा और मकर संक्रांति का उत्सव : Story of Makar Sankranti

माघ मास के आगमन के साथ सूर्य देवता अपने दक्षिणायन यात्रा से विराम लेते हैं और उत्तरायण की ओर अग्रसर होते हैं। इस दिव्य पल के उपलक्ष्य में मनाया जाता है मकर संक्रांति का पावन पर्व। आइए जानें इसके पीछे छिपे सृष्टि के अनोखे चक्र और लोक परंपराओं की कहानी:

सूर्य देवता की दक्षिणायन और उत्तरायण यात्रा:

सृष्टि के संतुलन में सूर्य देवता की भूमिका सर्वोपरि है। षड्ऋतुओं का चक्र उन्हीं के दक्षिणायन और उत्तरायण पर निर्भर करता है। जब सूर्य देवता छह महीने दक्षिण की ओर यात्रा करते हैं, तब दक्षिण गोलार्ध में गर्मी और उत्तर गोलार्ध में सर्दी का मौसम होता है। इसके बाद वे छह महीने उत्तरायण यात्रा करते हैं, जिससे उत्तर गोलार्ध में गर्मी और दक्षिण गोलार्ध में सर्दी का आगमन होता है।

मकर संक्रांति का पर्व इसी उत्तरायण यात्रा के शुभारंभ का प्रतीक है। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं, प्रकाश छाया पर विजय पाता है और प्रकृति में एक नवजीवन का संचार होता है।

लोक परंपराओं का रंगीन उत्सव:

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पहली संक्रांति को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस दिन समूचा देश उत्साह के रंग में सराबोर हो जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, गुजाराती नव वर्ष आदि।

हर क्षेत्र की परंपराएं भिन्न हो सकती हैं, लेकिन कुछ मुख्य तत्व समान होते हैं। घरों की साफ-सफाई, रंग-बिरंगे रंगोली बनाना, नए वस्त्र धारण करना, तिल और गुड़ से बने विभिन्न पकवानों का भोग लगाना – ये सब आम परंपराएं हैं।

कुछ क्षेत्रों में पतंग उड़ाने का भी चलन है, जो सूर्य देवता को श्रद्धांजलि और खुशियों के उड़ान भरने का प्रतीक है। मकर संक्रांति का दिन दान-पुण्य का भी होता है। इस दिन गरीबों को भोजन और वस्त्र दान देकर पुण्य कमाया जाता है।

मकर संक्रांति के लिए खाद्य

सभी संक्रांतियों की तरह, मकर संक्रांति का भी अपना महत्वपूर्ण राष्ट्रीय खाद्य त्योहार होता है। इस दिन लोग खिचड़ी, गुड़, और ऊंगलियों के पकवान खाते हैं, जो गेहूं, तिल, और गन्ने के चावलों से बनते हैं। यह खाद्य पदार्थ गर्मी और स्वादिष्ट होते हैं और इसे बड़े धूमधाम से खाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू और खीर भी बनाए जाते हैं, जिन्हें दान के रूप में बाँटे जाते हैं।

किसानों का विशेष पर्व:

मकर संक्रांति का पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। फसल कटाई का समय होने के कारण इस दिन को फसल का त्योहार भी माना जाता है। नए अनाज का भोग लगाकर किसान आने वाले साल में अच्छी फसल की कामना करते हैं।सूर्य देवता का उत्तरायण यात्रा और मकर संक्रांति का उत्सव:

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